Skip to content

Kshipra Shukla Ji. - Banaras Se Banarsi.

Chairperson - Uttar Pradesh Institute Of Design.

वंदना जी से मेरी मुलाक़ात २०१७ में जनवरी में हुई थी ! उनकी मुलाक़ात का असर ये हुआ कि तब मेरे पास एक या दो बनारसी थी , पर अब दुपट्टे और साड़ी मिला के २० तो होंगे ही। जब मिलती हूँ , हर रंग नया लगता है और अगर नया नहीं तो रिपीट हो जाता है। मुझे याद नहीं कि कभी ऐसा हुआ हो कि उनके यहाँ गयी, और कुछ लिया नहीं। कभी ऐसा हुआ नहीं कि कुछ पसंद ना आए.
हाँ जेब की तरफ़ देखना पड़ जाता है अक्सर क्यूँकि सब कुछ अच्छा लगने लगता है और फिर संयम रखना पढ़ जाता है । उनकी साड़ियाँ हो या दुपट्टे वो उनकी तरह ज़िंदादिल लगते हैं। ऐसा लगता है , बनारसी वार्डरोब और बढ़ेगी ही ...
वंदना जी से मेरी मुलाक़ात २०१७ में जनवरी में हुई थी ! उनकी मुलाक़ात का असर ये हुआ कि तब मेरे पास एक या दो बनारसी थी , पर अब दुपट्टे और साड़ी मिला के २० तो होंगे ही। जब मिलती हूँ , हर रंग नया लगता है और अगर नया नहीं तो रिपीट हो जाता है। मुझे याद नहीं कि कभी ऐसा हुआ हो कि उनके यहाँ गयी, और कुछ लिया नहीं। कभी ऐसा हुआ नहीं कि कुछ पसंद ना आए.
हाँ जेब की तरफ़ देखना पड़ जाता है अक्सर क्यूँकि सब कुछ अच्छा लगने लगता है और फिर संयम रखना पढ़ जाता है । उनकी साड़ियाँ हो या दुपट्टे वो उनकी तरह ज़िंदादिल लगते हैं। ऐसा लगता है , बनारसी वार्डरोब और बढ़ेगी ही ...

Previous article Rashmi Rakshit - New Delhi.- My Daughters Wedding.
Next article Mamta Sharma - New Delhi. - Banaras Se Pehchan.

Leave a comment

Comments must be approved before appearing

* Required fields